परमपूज्य अघोर संत प्रियदर्शी राम जी के उपस्थिति एवं मार्गदर्शन में समाधि क्रिया संपन्न हुई।
परमपूज्य गुरुदेव प्रियदर्शी राम जी ने समाधि के बगल में एक नीम का पौधा लगाया।
अघोरेश्वर महाप्रभु के विचार एवं कार्यों को जन – जन तक पहुंचाने वाले ,अघोर साधना के पथिक ,महान कर्मयोगी प्रेरणा परमार्थ आश्रम ( प्रयागराज) के संस्थापक , श्रद्धेय सुधीर भैया जी का इलाज के दौरान मुंबई में दिनांक 20/6/24 को शिव लोक गमन हो गया।
नैनी के मड़ौका उपरहार स्थित प्रेरणा परमार्थ आश्रम के संस्थापक सुधीर भैया जी का बुधवार रात मुंबई में इलाज के दौरान निधन हो गया था।श्रद्धेय सुधीर भैया के निधन की जानकारी मिलते ही उनके अनुयायियों और पुरे अंचल में शोक की लहर दौड़ गई। उनके पार्थिव शरीर एम्बुलेंस से सड़क मार्ग द्वारा चाका नैनी के समीप स्थित मड़ौका उपरहार स्थित आश्रम में शुक्रवार शाम लाया गया। जहां पर उनके अंतिम दर्शन के लिए हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी ।
श्रद्धेय भैया जी मूलत: झारखंड के पलामू जिला स्थित रेहला के रहने वाले थे। उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद संसारिक मोह माया त्याग कर जन कल्याण के लिए अघोरपथ से पूर्ण समर्पण भाव से जुड़ गए।उन्होंने प्रेरणा परमार्थ आश्रम के माध्यम से सेवा कार्य को आगे बढ़ाया। दीन दुखियों की सेवा को मिशन बना कर काम करने वाले भैया जी अघोरेश्वर के सेवा सिद्धांत से प्रेरणा लेकर दहेज रहित विवाह की परंपरा विकसित करने के लिए सामूहिक विवाह समारोह को बढ़ावा देकर हजारों गरीब कन्याओं की शादी कराई ग्रामीणजन, पिछड़े, वंचित,आदिवासी लोगों के लिए उत्तम शिक्षा, स्वास्थ्य चिकित्सा सेवा, रूढ़िवादी, नशाखोरी से मुक्त आदर्श जीवन जीने का संदेश,दीन – दुखियों की सेवा एवं परमार्थ हेतु वह निरंतर अपने सहयोगियों को सेवा कार्य के लिए प्रेरित करते रहते थे।
परमपूज्य अघोरेश्वर भगवान राम जी के इस संदेश को सूत्र वाक्य बना कर श्रद्धेय भैया जी ने समाज के उपेक्षित और पीड़ित जनों की सेवा की। उन्होंने अघोर परंपरा के मजबूती के लिए काम किया। प्रयागराज के अलावा भैया जी द्वारा अमर कंटक, हाथीनाला आदि स्थानों पर भी प्रेरणा परमार्थ आश्रम के शाखा की स्थापना की। जहां पर आज भी सेवा कार्य चल रहा है।
उनके अंतिम दर्शन के लिए हजारों की संख्या में प्रयागराज के अलावा देश के विभिन्न स्थानों से लोग पहुंचे थे। कुछ तो फफककर रो पड़े।पूरा वातावरण गमगीन हो गया था।लोग अपने अश्रु नहीं रोक पा रहे थे।
शनिवार सुबह सबसे पहले उनके पार्थिव शरीर का जन दर्शन कराया गया। उनके अंतिम दर्शन के लिए हजारों की संख्या में जन मानस उमड़ पड़ा।इसके बाद उन्हें परम पूज्य गुरु जी का दर्शन कराने के बाद अघोर परंपरानुसार विधि विधान पूर्वक समाधि दी गई । अघोर गुरुपीठ ब्रम्ह निष्ठालय बनोरा, जिला रायगढ़ (छत्तीसगढ़) के संस्थापक पीठाधीश्वर संत परम पूज्य बाबा प्रियदर्शी राम जी ने समाधि स्थल के बगल नीम का एक पौधा लगाया। इसके बाद शोक सभा का आयोजन किया गया। अघोर पथ के एक सच्चे कर्मयोगी संत को श्रद्धांजलि देते हुए अघोरेश्वर के संदेश को जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया गया।श्रद्धेय सुधीर भैया जी अमर रहें के गगन भेदी नारों से पूरा वातावरण गूंजित हो उठा ।
जय मां गुरु,जय अघोरेश्वर।
गणेश कछवाहा
काशीधाम
बैकुंठपुर,बावली कुंवा
रायगढ़ छत्तीसगढ़।
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gp.kachhwaha @gmail.com