प्रदूषण

प्रदूषण नियंत्रण जरूरी है या ऑक्सीजन जोन?…हवा भी बाजार का हिस्सा न हो जाय,कहीं शुद्ध हवा खरीदना न पड़ें– गणेश कछवाहा

ऑक्सीजन जोन, मतलब सरकार प्रदूषण नियंत्रण में विफल ,पूंजीपतियों के सामने समर्पण

जीते जागते श्मशान सा शहर में भौतिक विकास का क्या करेंगे?

———–-गणेश कछवाहा –————————

रायगढ़ प्रदूषण के खतरनाक जोन में है। माना जाता है कि रायगढ़ प्रदूषण के बारूद के ढेर में बैठा है। जीवन और मृत्यु के मध्य संघर्ष करते हुए स्वस्थ जीवन और स्वासों को बचाने की जद्दोजहद में जी रहा है। विगत 34 साल से अधिक हो गए स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पूर्व विधायक जननायक रामकुमार अग्रवाल के नेतृत्व में जनसंगठनों ने अनेकों असंख्य ज्ञापन, प्रदर्शन, आंदोलन, के जरिए तथा वैज्ञानिक, डॉक्टर, पर्यावरण विद, विभिन्न एजेंसीज,सामाजिक कार्यकर्ताओं, जनसंगठनों अखबारों एवं मीडिया ने भी सरकार को बार बार अवगत कराया यह क्रम आज भी जारी है।। यहां तक कि शासकीय संस्थानों आई आई टी सर्वे टीम, केंद्र प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड एवं नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एन जी टी) ने भी प्रदूषण की गंभीरता पर चिंता व्यक्त की । भारी भरकम पेनाल्टी लगाकर समय समय कठोर दिशा निर्देश भी जारी किए , यह भी रेखांकित किया गया कि रायगढ़ कोयले पर आधारित और किसी नए उद्योगों की स्थापना या विस्तार के लिए पर्यावरणीय स्थिति अनुकूल नहीं है।प्रदूषण इस स्तर पहुंच गया है कि सम्पूर्ण जीव जगत के जीवन के लिए बहुत खतरनाक है।

शायद रायगढ़ को अब इसके लिए किसी वैज्ञानिक तथ्यों, प्रमाणपत्रों या विभागीय दस्तावेज़ की भी जरूरत नहीं है। खुली आंखों से प्रदूषण की भयावह स्थिति को देख ही नहीं सकते बल्कि सब भोग रहे हैं। अब तो रायगढ़ की पहचान ही काले काले कालिख से हो रही है। बच्चे से लेकर बूढ़ों तक खांसी में काले काले कण, सीने में काली परत की रेखाएं,पैरों,कपड़ों, घर के छतों,बैड रूम, रसोई, पेड़ पौधे, नदी,तालाब, पोखर, जलाशय, सब जगह काली काली परत और डस्ट चीख चीख कर कह रही हैं इस जानलेवा प्रदूषण से बचा लो।
दमा स्वांस,खांसी,चर्म रोग , लीवर,हृदय, कैंसर जैसे गंभीर रोगों में चिंताजनक वृद्धि हो रही है लेकिन किसी भी सरकारों ने कोई विशेष ध्यान नहीं दिया । प्रदूषण नियंत्रण के बजाय निरंतर बढ़ता ही जा रहा है। खतरनाक और गंभीर होता जा रहा है।

प्रदूषण नियंत्रण जरूरी है या ऑक्सीजन जोन?
नई सरकार से बहुत उम्मीदें थीं। माननीय ओ पी चौधरी जी पूर्व आई ए एस युवा विधायक भारी बहुमत से विजयी हुए सौभाग्यवश वित्त एवं पर्यावरण मंत्री बनाए गए और माननीय विष्णुदेव साय जी रायगढ़ जिले का प्रतिनिधित्व करते लगभग 20 वर्षों तक सांसद रहे वे छत्तीसगढ़ के माननीय मुख्य मंत्री पद पर आसीन हुए। जन भावनाएं व उम्मीदें बढ़ना स्वाभाविक है। दोनों माननीय महोदय सारी परिस्थितियों से भली भांति अवगत हैं। रायगढ़ की माटी तथा उसके कण कण से वाक़िफ हैं।सरकार को लगभग एक वर्ष पूरे हो गए लेकिन प्रदूषण पर नियंत्रण करने के बजाय उद्योगों के लगातार विस्तार की जनसुनवाई, नई कोल ब्लॉक की अनुमति प्रदान कर जन भावनाएं एवं जन उम्मीदों पर पानी ही नहीं फेरा बल्कि जीवन के लिए और अधिक गंभीर खतरा पैदा कर दिया। इस अमानवीय पूंजीपरस्त जनविरोधी निर्णयों के खिलाफ जनविरोध बढ़ता देखकर आनन फानन में बिना किसी मांग के ,बिना सामाजिक,जनजीवन व रोजगार पर पड़ने वाले प्रभाव का आंकलन किए , और न ही जनता को विश्वास में लिए ही ‘ ऑक्सीजन जोन ‘ का निर्णय लिया गया। पर्यावरण विद, वैज्ञानिक,सामाजिक कार्यकर्ता, बुद्धिजीवी सहित आम प्रबुद्धजनों ने इसे लॉलीपॉप बताते हुए सरकार के इस निर्णय से हैरान है। लोग पूछ रहे हैं कि प्रदूषण नियंत्रण जरूरी है या ऑक्सीजन जोन? हसदेव छत्तीसगढ़ का वृहद घना प्राकृतिक ऑक्सीजन जोन है तब फिर “हसदेव अरण्य ” को क्यों बर्बाद तबाह किया जा रहा है? उसे क्यों नहीं बचाया जा रहा है? जीव जगत की रक्षा के लिए हसदेव अरण्य को हर हाल में बचाया जाना चाहिए। हसदेव अरण्य पर पूरे देश ने चिंता व्यक्त की है।
सबसे बड़ा सवाल यह भी उठ रहा है कि जब जीवन ही सुरक्षित नहीं होगा, जीवन मृत्यु के बीच जीवन की सांसे लेना दुर्लभ होगा। जीते जागते श्मशान सा शहर में भौतिक विकास का क्या करेंगे ?

प्रदूषण नियंत्रण में सरकार विफल ,पूंजीपतियों के सामने समर्पण-

सब कुछ जानने समझने के बावजूद,इतने लंबे आंदोलनों की लंबी श्रृंखला, इतनी गंभीर और खतरनाक परिस्थितियों के बावजूद, जहां संपूर्ण जीव जगत ही खतरे में हो, वहां रायगढ़ के दो माटी पुत्र सरकार के मुख्य पदों एक माननीय वित्त एवं पर्यावरण मंत्री और एक माननीय मुख्य मंत्री पद पर होने के बावजूद प्रदूषण नियंत्रण करने में असफल हों कई प्रश्नों को जन्म देता है? शायद कुछ मजबूरियां होंगी। शायद राजनीत ने अपनी दशा और दिशा बदल ली है। शब्दकोश में सारे शब्द अपने अर्थों को बदलता देख निःशब्द हो गए हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार ने पूंजीपतियों व उद्योग पतियों के सामने घुटने टेक दिए हैं,समर्पण कर दिया है। अमानवीय, संवेदनहीन ,पूंजीपरस्त, विकास की अवधारणा ही राजनीति का मुख्य उद्देश्य हो गया है जिसमें केवल पूंजी ही प्रधान है। पूंजी सब चीज को बाजारवाद में तब्दील कर देती है जिसका एकमात्र मुख्य उद्देश्य होता है येन- केन पूंजी( लाभ) कमाना।आदर्श, नैतिकता, मानवता, सभ्यता, संस्कृति, सिद्धांत सब भारी भरकम शब्द पुस्तकों के शो केस से हमारे हृदय में कहीं झांकते व झकझोरते हुए दिखाई देते हैं।कहीं ऐसा न हो कि शुद्ध हवा भी खरीदना पड़ें। हवा भी बाजार का हिस्सा न हो जाय ।

हजारों परिवार प्रभावित होंगे,सकारात्मक समाधान निकालना होगा-
कल्याणकारी राज्य में कोई भी योजना ऐसी होनी चाहिए कि शून्य या कम से कम संख्या में जनजीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़े और अधिकांश लोग लाभांवित हो सकें तथा प्रभावितों के लिए वैकल्पिक आदर्श प्रावधान हो। ताकि उनका जनजीवन भी आदर्श और विकास पथ पर अग्रसर हो सके।

सब्जी मंडी,चौक चौराहे,दुकान,पन ठेलों, दफ्तरों, राजनैतिक गलियारों में यह चर्चा आम हो गई है कि “सरकार द्वारा पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण करने के बजाय ऑक्सीजन जोन बनाने का निर्णय सरकार की विफलता को प्रदर्शित कर रही है। वह भी वर्षो से चले आ रहे इतवारी बाजार में जहां हजारों छोटे छोटे गरीब मध्यम परिवार किसान, सब्जी फल और अन्य चीजों के व्यापार से परिवार की रोजी रोटी चलती है उनका कोई वैकल्पिक आदर्श व्यवस्था का प्रावधान भी नहीं किया गया है।इससे हजारों परिवार प्रभावित होंगे। वे कहां जाएंगे? क्या होगा?लोगों ने कड़ा विरोध प्रदर्शन किया लेकिन सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंगी। सवाल यह भी उठता है कि सरकार गरीबों की आवाज क्यों नहीं सुनती ? सरकार को विशेष कर रायगढ़ के प्रतिनिधि होने के कारण माननीय विधायक महोदय को जो पर्यावरण मंत्री भी हैं उन्हें प्रभावितों के दुख ,दर्द, पीड़ा की आवाज को अवश्य सुनना चाहिए और सकारात्मक समाधान निकालना चाहिए।

गणेश कछवाहा
लेखक,चिंतक एवं समीक्षक
जिला बचाओ संघर्ष मोर्चा
ट्रेड यूनियन काउंसिल
रायगढ़ छत्तीसगढ़।
94255 72284
gp.kachhwaha@gmail.com

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