पेय जल में कीड़े

घरघोड़ा में गंदा पानी,बेहाल जनता ,वार्ड में पानी में आ रहे कीड़े

अब वार्डवासियों ने की लिखित शिकायत,कार्यवाही का इंतजार

साहब की लापरवाही चरम पर,स्वच्छता सर्वेक्षण में नम्बर बढ़ाने व्यस्त !

घरघोड़ा। नगर पंचायत घरघोड़ा के वार्ड क्रमांक 2 के निवासी पिछले डेढ़ माह से दूषित और बदबूदार पेयजल आपूर्ति की समस्या से जूझ रहे हैं। लगातार शिकायतों के बावजूद नगर पंचायत के CMO नीलेश केरकेट्टा समस्या के समाधान के बजाय जनता की आवाज दबाने में लगे हुए हैं। हालात इतने भयावह हैं कि कभी पानी में कीड़े मिल रहे हैं, तो कभी नाली जैसी गंदगी बहकर आ रही है। बदबूदार और खराब स्वाद वाले इस पानी को पीने के लिए वार्ड के लोग मजबूर हैं, जिससे बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है।

वार्ड के लोगों ने इस समस्या को लेकर नगर पंचायत को लिखित शिकायत भी सौंपी, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। CMO साहब की हठधर्मिता का आलम यह है कि एक शिकायतकर्ता को बार-बार गुहार लगाने पर नल कनेक्शन कटवाने की सलाह दे दी गई! यानी समस्या का हल निकालने के बजाय जनता को जल संकट में धकेलने की धमकी दी जा रही है।

स्वच्छता सर्वेक्षण में व्यस्त CMO, जनता त्रस्त!

नूतन कॉलोनी वार्ड नंबर 2 के लोगों का आरोप है कि CMO साहब स्वच्छता सर्वेक्षण में अच्छे नंबर बटोरने में लगे हैं, लेकिन जनता को शुद्ध पेयजल देने की जिम्मेदारी से पूरी तरह विमुख हो चुके हैं। जब वार्ड में लोगों को साफ पानी तक नहीं मिल पा रहा है, तो ऐसे स्वच्छता अभियान का क्या औचित्य? नगर पंचायत सिर्फ कागजों पर सफाई की तस्वीर चमकाने में जुटी है, जबकि असलियत में जनता मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रही है।

पेयजल शुद्ध देना जिम्मेदारी, जिससे विमुख होना अकर्मण्यतानि

नगर पंचायत का पहला दायित्व नागरिकों को स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराना है। यह कोई अनुकंपा नहीं, बल्कि बुनियादी हक है। लेकिन CMO समेत पूरा प्रशासन इस जिम्मेदारी से मुंह मोड़कर अपनी अकर्मण्यता और लापरवाही का परिचय दे रहा है। दूषित पानी से बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है, लेकिन CMO कानों में तेल डालकर बैठे हैं। क्या घरघोड़ा नगर पंचायत सिर्फ दिखावे के लिए है? क्या जनता को अपने हक के लिए सड़क पर उतरना पड़ेगा?

जल्द हो समाधान नहीं तो होगा आंदोलन!

वार्डवासियों ने साफ शब्दों में चेतावनी दी है कि अगर जल्द से जल्द शुद्ध पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित नहीं की गई, तो नगर पंचायत के खिलाफ उग्र आंदोलन किया जाएगा। लोगों का कहना है कि वे इस अनदेखी और लापरवाही को अब और बर्दाश्त नहीं करेंगे। सवाल यह है कि क्या प्रशासन जनता की आवाज सुनेगा, या फिर लोगों को अपने हक के लिए सड़क पर उतरना ही पड़ेगा?

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