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गाय और ब्राह्मण सनातन धर्म की रीढ़ – शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद

गाय और ब्राह्मण सनातन धर्म की रीढ़:-शंकरा चार्य अविमुक्तेश्वरानंद

शंकरा चार्य अविमुक्तेश्वरानंद का राजधानी स्थित राधे श्याम सुनील लेंध्रा के निवास में आतिथ्य के दौरान किया गया भावभीना स्वागत

शंकराचार्य ने कहा गाय को मिले राष्ट्र माता का दर्जा

रायपुर। गाय एवम ब्राह्मण की रक्षा देश वासियों का प्रथम दायित्व है। विश्व कल्याण की भावना हर देशवासी में मौजूद है। हिंदू राष्ट्र बनाने शर्ते तय होनी चाहिए।सनातन धर्म की रक्षा के लिए बच्चो को धर्म की शिक्षा देने आवश्कता है। इन तमाम विषयो पर आज शंकरा चार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने राजधानी स्थित सुनील लेंध्रा के निवास स्थान पर चर्चा के दौरान कही। सुनील लेंध्रा के जन्मदिन की पूर्व उनके निवास पधारे शंकरा चार्य अविमुक्तेश्वरानंद का सिग्नेचर होम कॉलोनी वासियों ने भावभीना स्वागत किया। सुनील लेंध्रा ने उपस्थित लोगो के कल्याण व उन पर आशीर्वाद बनाए रखने की कामना की जिसकी सराहना करते हुए शंकराचार्य ने कहा जब मनुष्य सबके कल्याण का सोचता है तो उसका कल्याण सबसे पहले होता है। सभी की प्रार्थना में विश्व कल्याण की भावना शामिल होनी चाहिए। भगवान यदि आपकी प्रार्थना सुन रहा हो तो सबसे असंतुष्ट जनों को संतुष्ट करने की कामना करनी चाहिए उसके बाद ईश्वर से राजा को न्याय के लिए सम्यक दृष्टि दिए जाने की कामना करनी चाहिए। ताकि सभी को बराबर न्याय मिल सके। मौजूद भक्तो के मन मे गाय ब्राम्हण हिंदू राष्ट्र सनातन धर्म से जुड़े सवालों का शंकराचार्य ने जवाब देते हुए गाय एवम ब्राम्हण को सनातन धर्म में रीढ़ बताया। गौ और ब्राम्हण का सम्मान करने वालो को देवताओं का आशीर्वाद मिलता है। उन्होंने कहा आस पास का वातावरण खुशनुमा बनाए रखे इससे आपको भी खुशी हासिल होगी। हिंदू राष्ट्र बनाए जाने के प्रश्न को गभीरता से लेते हुए शंकराचार्य ने कहा हिंदू राष्ट्र क्यों बनना चाहिए इसकी शर्ते क्या होगी? हिंदू राष्ट्र का प्रारूप क्या होगा? हिंदू राष्ट्र बनाए जाने से सबके दुख खतम जो जायेंगे इन सभी बातो को समझना आवश्यक है। अंग्रेजो ने हिंदू शब्द की व्याख्या भी गलत तरीके से की है। लेकिन हिंदुओ ने उसे भी आत्मसात करते हुए हिंदू शब्द को सही तरीके से परिभाषित किया है। हिंसा को दूषित मानने वाला सही मायने में हिंदू है। हिंदू ने ही हिंसा से दूर रहते हुए सबके कल्याण की भावना को आत्मसात किया है। हमला होने की स्थिति में जैसे सेना सबसे पहले देश के राष्ट्रपति को बचाती है ।शतरंज के खेल में भी राजा को बचाने के लिए हाथी घोड़े प्यादे का जीवन खत्म हो जाता है। वैसे ही गौ रक्षा से हिंदुत्व का मार्ग प्रशस्त होगा। गुरु और ब्रह्मा को पूजनीय माना गया है लेकिन हिंदुओ के घरों में गुरु और ब्रह्मा की बजाय पहली रोटी गाय के नाम से निकाली जाती है। लेकिन अफसोस यह है कि आज भी गाए काटी जा रही है। गौ का तिरस्कार हो रहा है। गौ रक्षा से ही हिंदू राष्ट्र बनने का मार्ग प्रशस्त होगा। आजादी के पहले से ही गाए कटती रही और यह क्रम आजादी के बाद से आज भी बदस्तूर जारी हैं। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले गाय को बचाने वाले भाई और गौ को काटने वाले कसाईयो की सूची जारी करेंगे। गौ रक्षा के मामले में भाई और कसाई को नए सिरे से परिभाषित करते हुए उन्होंने कहा देश में पंजीकृत 2600 दलों में जो दल गोहत्या रोकने की दिशा में कोई कदम नहीं उठायेंगे उन्हे कसाई की सूची में डाला जाएंगे। जो दल गोमाता का संरक्षण करे, वह हमारे भाई होंगे। देश में पंजीकृत 2600 दलों को गौ हत्या पर प्रतिबंध लगाने संबंधी पत्र लिखने की बात भी कही। कुछ दलों द्वारा समर्थन भी दिया गया है। गाय को राष्ट्र माता का दर्जा दिए जाने की मांग दोहराते हुए कहा जो दल गौ हत्या पर चर्चा नही करेंगे उनकी नियत उजागर होगी। वही सनातन धर्म को बचाने के लिए किए जाने वाले उपायों के संबंध में भी स्वामी शंकराचार्य चिंतित नजर आए उन्होंने कहा पहले यह महसूस करना चाहिए कि क्या हमारा धर्म खतरे में है। यदि खतरा महसूस करते है तो उसका कारण जानकर समय रहते उसका उपचार भी करना चाहिए। सनातन धर्म पर संकट के बादल छाए रहने का कारण शिक्षा नीति को बताते हुए उन्होंने कहा मुस्लिमो द्वारा मदरसों में धर्म की शिक्षा दी जाती है हिंदू अपने बच्चे को आचमन के बारे में नही बता सकते। धारा 30 ए के तहत स्कूलों में धर्म शिक्षा नही दी जाती है। हिंदू को छोड़कर अन्य दल धर्म की शिक्षा दे रहे है। हिंदू अपने बच्चो को धर्म के बारे में नही बता रहे है आने वाली पीढ़ी धर्म से अनजान होगी। बच्चो को धर्म की शिक्षा आवश्यक बताते हुए उन्होने कहा सनातन धर्म को बचाने बड़े प्रयासों की जरूरत है।अपने गुरु के जीवन से जुड़े संस्मरण का उल्लेख करते हुए शंकराचार्य ने कहा देश की आजादी की लड़ाई के लिए उनके गुरु भी जेल में रहे लेकिन आजादी के बाद उन्हें इस बात का दुख रहा कि देश वासी भारतीय की बजाय इंडियन बन गई ।धर्म के नाम पर आंडबर को भी व्यर्थ बताते हुए धर्म को जीवन में उतारे जाने की आवश्यकता शंकराचार्य ने जताई।

सप्तानिक पुत्र व बहु के साथ सुनील ने की चरण वंदना

सुनील के जन्मदिन की पूर्व उनके निवास पधारे शंकरा चार्य अविमुक्तेश्वरानन्द की चरण वंदना परिवार जनों ने की। इस दौरान राधेश्याम अग्रवाल उनके पुत्र बजरंग सुनील सपत्नीक बेटे बहु के साथ मौजूद रहे। सुनील ने आशीर्वाद स्वरूप सभी शुभचिंतकों के लिए आशीर्वाद मांगा। शंकराचार्य ने सुनील के आवास को आश्रम की तरह बताया।

उत्तराखंड ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य है स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द

स्वामी अवि मुक्तेश्वर आनंद सरस्वती उत्तराखंड की ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य है साल 2022 मैं द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के ब्रह्मलीन होने के बाद उन्हें यहां का शंकराचार्य बनाया गया था।शंकराचार्य जी की गंगा सेवा अभियान से लेकर वाराणसी में मंदिर बचाओ आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

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